गुलज़ार शायरी इन हिंदी
आखिरी नुकसान था तू जिंदगी में !!
तेरे बाद मैंने कुछ खोया ही नहीं !!
सब खफा हैं मेरे लहजे से पर मेरे !!
हालात से वाकिफ कोई नहीं !!
तन्हाइयां कहती हैं कोई महबूब बनाया जाए !!
जिम्मेदारियां कहती हैं वक़्त बर्बाद बहुत होगा !!
जर्रा जर्रा समेट कर खुद को बनाया है मैंने !!
मुझसे ये ना कहना बहुत मिलेंगे तुम जैसे !!
Gulzar shayari in Hindi
उतार कर फेंक दी उसने तोहफे में मिली पायल !!
उसे डर था छनकेगी तो याद जरूर आऊंगा मै !!
सब तारीफ कर रहे थे अपने अपने महबूब का !!
हम नीद का बहाना बना कर महफ़िल छोड़ आए !!
वो हमे भूल ही गए होंगे भला !!
इतने दिनों तक कौन खफा रहता है !!
आज थोड़ी बिगड़ी है कल फिर सवांर लेंगे !!
जिंदगी है जो भी होगा संभाल लेंगे !!
Gulzar shayari in Hindi
उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जाँ पर !!
चले जहाँ से तो ये पैरहन उतार चले !!
हाथ छुटे तो भी रिश्ते नहीं छोड़ा करते !!
वक़्त की शाख से रिश्ते नहीं तोड़ा करते !!
तमाशा करती है मेरी जिंदगी !!
गजब ये है कि तालियां अपने बजाते हैं !!
तुम लौट कर आने की तकलीफ़ मत करना !!
हम एक ही मोहब्बत दो बार नहीं किया करते !!
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