Gulzar ki shayari
एक दिन तुम मुझे !!
इसलिए भी खो दोगे कि !!
हमारी रोज़ बात नहीं होती !!
मोहब्बत की है तुम स बेफिक्र रहो !!
नाराज़गी हो सकती है !!
पर नफ़रत कभी नहीं होंगी !!
ख्वाहिश तो न थी किसी से दिल लगाने !!
की पर किस्मत में दर्द लिखा !!
हो तो मोहब्बत कैसे न होती !!
Gulzar shayari in Hindi
कितने अजीब होते है ये मोहब्बत के !!
रिवाज़ भी लोग आप से तुम तुम से !!
जान और जान से अनजान बन जा !!
छोड़ दो ये बहाने जो तुम करते हो !!
हमें भी अच्छे से मालूम है मज़बूरियाँ !!
तभी आती हैं ज़ब दिल भर गया हो !!
तजुर्बा कहता है रिश्तों में फैसला रखिए !!
ज्यादा नजदीकियां अक्सर दर्द दे जाती है !!
Gulzar shayari in Hindi
मुझसे तुम बस मोहब्बत कर लिया करो !!
नखरे करने में वैसे भी तुम्हारा कोई जवाब नहीं !!
मोहब्बत आपनी जगह नफरत !!
अपनी जगह मुझे दोनो है तुमसे !!
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता !!
हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है !!
आइना देख कर तसल्ली हुई !!
हम को इस घर में जानता है कोई !!
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