Gulzar shayari hindi
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में !!
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया !!
कहानी शुरू हुई है तो खतम भी होगी !!
किरदार गर काबिल हुए तो याद रखे जाएंगे !!
वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी !!
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते !!
वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी !!
Gulzar shayari in Hindi
कर जा कुछ ऐसा के जीने का अफसोस !!
बाक़ी ना रह जाए कर दिल की हर हसरत !!
पूरी कोई अरमान बाक़ी ना रह जाए !!
दबी-दबी साँसों में सुना था मैंने बोले बिना !!
मेरा नाम आया पलकें झुकी और उठने !!
लगीं तो हौले से उसका सलाम आया !!
तुम मिले तो क्यों लगा मुझे खुद से !!
मुलाकात हो गई कुछ भी तो कहा !!
नही मगर ज़िंदगी से बात हो गई !!
Gulzar shayari in Hindi
सालों बाद मिले वो गले लगाकर !!
रोने लगे जाते वक़्त जिसने कहा !!
था तुम्हारे जैसे हजार मिलेंगे !!
मोहब्बत में अक्सर ऐसा होता है !!
पूरी दुनिया से लड़ने वाला इंसान !!
अपने मन पसंद इंसान से हार जाता है !!
इसलिए पसंद है किताब मुझे !!
वो टूटकर बिखर जाना पसंद करेगी !!
मगर अपने लफ्ज़ बदलना नही !!
एक शख्स जो इतना सताता है !!
सुकून भी न जाने क्यों !!
उसी के पास आता है !!
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