Gulzar shayari on love
मेरी तो खुद की किस्मत !!
साथ नहीं देती
तुम तो “खैर” तुम हो !!
इश्क़ की अपनी ही बचकानी ज़िद !!
होती है चुप करवाने के लिए भी !!
वही चाहिए जो रुलाकर गया है !!
Gulzar shayari in Hindi
बिछड़ते वक़्त मेरे सारे ऐब galti गिनाये उसने !!
सोचता हूँ
जब मिला था तब कोन सा हुनर था मुझमे !!
धागे बड़े कमज़ोर चुन लेते है हम !!
और फिर पूरी उम्र
गांठ बांधने में निकल जाती है !!
गलती बस एक ही हुई मुझसे !!
ज़िंदगी में. जिसने मुड़कर भी !!
ना देखा मैंने उसका इंतज़ार किया !!
Gulzar shayari in Hindi
हमने कहा उनसे हम बहुत रोते हैं !!
तुम्हारे लिए वो बोले रोते तो सब हैं !!
तो हम क्या सबके हो जाए !!
कुछ तो बात है मोहब्बत में !!
वरना एक लाश के लिए !!
कोई ताज महल नहीं बनता !!
जिंदगी मे सबको सबकुछ मिले बेशक़ !!
ये ज़रूरी नहीं हैं लेकिनजो मिला है उसकी !!
भी कहीं कोई चाहत बाक़ी ना रह जाए !!
मुसलसल बदलते दौरा से भी मै बख़ूबी !!
वाकिफ़ हूँ “निश़ात”सँभलना कहीं कोई !!
फिर भी नया तजुर्बा बाक़ी ना रह जाए !!
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