Dosti ka farz shayari
किसी की मदद करने में क्यों हर्ज है !!
ये तो इंसानियत के रिश्ते का फर्ज है !!
वतन के प्रति अपना फर्ज इस तरह निभाता हूँ !!
बस ईमानदारी से अपनी रोजी-रोटी कमाता हूँ !!
दर्द तो अकेले ही सहते हैं सभी !!
भीड़ तो बस फर्ज अदा करती है !!
कितना आसाँ था तिरे हिज्र में मरना जानाँ !!
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते !!
Farz shayari in Hindi
ये ख़्वाब है ख़ुशबू है कि झोंका है कि पल है !!
ये धुँद है बादल है कि साया है कि तुम हो !!
जब भी दिल खोल के रोए होंगे !!
लोग आराम से सोए होंगे !!
ये कौन फिर से उन्हीं रास्तों में छोड़ गया !!
अभी अभी तो अज़ाब-ए-सफ़र से निकला था !!
तेरी बातें ही सुनाने आए !!
दोस्त भी दिल ही दुखाने आए !!
Farz shayari in Hindi
कैसा मौसम है कुछ नहीं खुलता !!
बूँदा-बाँदी भी धूप भी है अभी !!
ख़ुश हो ऐ दिल कि मोहब्बत तो निभा दी तू ने !!
लोग उजड़ जाते हैं अंजाम से पहले पहले !!
हम कि दुख ओढ़ के ख़ल्वत में पड़े रहते हैं !!
हम ने बाज़ार में ज़ख़्मों की नुमाइश नहीं की !!
यूँही मर मर के जिएँ वक़्त गुज़ारे जाएँ !!
ज़िंदगी हम तिरे हाथों से न मारे जाएँ !!
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