Shayari on farz 2 line
ज़ालिम से डरने वाले !!
क्या तेरे दो हाथ नहीं !!
उनका जो फ़र्ज़ है वो अहल ए सियासत !!
जाने मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे !!
दर्द तो अकेले ही सहते हैं सभी !!
भीड़ तो बस फर्ज अदा करती है !!
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ !!
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ !!
Farz shayari in Hindi
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें !!
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें !!
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम !!
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ !!
हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा’द ये मा’लूम !!
कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी !!
तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो ‘फ़राज़ !!
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला !!
Farz shayari in Hindi
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं !!
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं !!
सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से !!
सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं !!
हर एक खुशी यू फ़र्ज़ निभा कर चली गयी !!
मेरा पता गमो को बता कर चली गयी !!
जिंदगी में कोई दर्द ऐसे हैं जो जीने नहीं देते !!
और कुछ फर्ज ऐसे हैं जो मरने नहीं देते.
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