नमस्कार दोस्तों कैसे हो आप लोग आशा करता हूं कि आप लोग अच्छे होंगे | दोस्तों यदि आप भी अपना घर परिवार या रिश्तेंदार के साथ फ़र्ज़ निभा रहे हैं लेकिन आपको उसका श्रेय नहीं मिलता है तो हम आप के लिए लेके आये हैं बेहतरीन फ़र्ज़ वाली शायरी यदी आप फ़र्ज़ वाली शायरी पढना चाहते हैं तो आप सही पोस्ट पर आये हैं । यहाँ पर आपको Farz shayari in Hindi, Farz Shayari Status Quotes in Hindi, Farz Status in Hindi, Zindagi Farz Shayari and Dosti ka farz shayari आदि पढने को मिलेंगी जिसे आप खुद को मोटिवेट कर सकते हैं |
यदि आप लोग इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं, तो आप हमारे सोशल मीडिया पेज को अवश्य फॉलो कर लीजिए, ऐसे ही उपयोगी जानकारी हम आप लोगों के बीच लाते रहते हैं, यदि आपको हमारा यह आर्टिकल अच्छा लग रहा है तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें।
Farz shayari in Hindi
फर्ज था जो मेरा निभा दिया मैंने !!
उसने मांगा वह सब दे दिया मैंने !!
वो सुनके गैरों की बातें बेवफा हो गई !!
समझ के ख्वाब उसको आखिर भुला दिया मैंने !!
पर टूट न जाएं हम इसलिए दिखाता नहीं !!
प्यार उसके दिल में भी होती मां के जैसी !!
पर वो कभी उस प्यार को जताता नहीं !!
थक जातें है कंधे काम के भोज से अक्सर !!
फिर भी वो कंधों को झुकाता नहीं !!
पूरी करता है हर इक जरूरत को हमारी !!
पर कभी घर के ख़र्च का अहसास दिलाता नहीं !!
Farz shayari in Hindi
हर ख्वाहिश के खातिर लड़ जाता जग से हमारी !!
पर अपनी ख्वाहिशों को हमसे दिखाता नहीं !!
वो जो दिखता है ऊपर सख्त हमें अक्सर !!
पर अपने प्यार को हमसे छुपा पाता नहीं !!
अक्सर देखा है हमने मां को लड़ते जरूरतों के खातिर !!
पर वो अपने दर्द को किसी को दिखा पाता नहीं !!
शायद यही सारी खूबियों के कारण बनाया है रब ने !!
वरना धरती पे वो पिता को बनाता नहीं !!
लोगों को कहते सुना है अक्सर हमने भी !!
क्या निभाएँ है फर्ज होने के पिता के !!
तो दोस्त उनसे भी कभी पूछो कैसी कमी होती है पिता !!
जिसके पिता अपने पिता का फर्ज़ निभाते नहीं !!
Farz shayari in Hindi
फर्ज था जो मेरा निभा दिया मैंने !!
उसने मांगा वह सब दे दिया मैंने !!
वो सुनके गैरों की बातें बेवफा हो गई !!
समझ के ख्वाब उसको आखिर भुला दिया मैंने !!
मृत्युंजय इस घट में अपना !!
कालकूट भर दे तू आज !!
ओ मंगलमय पूर्ण सदाशिव !!
रुद्र-रूप धर ले तू आज !!
चिर-निद्रित भी जाग उठें हम !!
कर दे तू ऐसी हुंकार !!
मदमत्तों का मद उतार दे !!
दुर्धर तेरा दंड-प्रहार !!
हम अंधे भी देख सकें कुछ !!
धधका दे प्रलय-ज्वाला;
उसमें पड़कर भस्मशेष हो !!
है जो जड़ जर्जर निस्सार !!
इसे भी पढ़ें :-