525+ Best Rahat Indori shayari in hindi | बेस्ट राहत इंदौरी शायरी ईन हिंदी

हेलो दोस्तो कैसे हो आप लोग आशा करता हूं कि आप लोग अच्छे होंगे इसी के साथ हम लेकर आए Rahat Indori shayari in hindi वाली पोस्ट जिसको लेकर आप सभी प्रिय मित्र काफी कमेंट कर रहे थे, Rahat Indori shayari in hindi के ऊपर एक अच्छी पोस्ट लाने के लिए, तो हम उन्ही सब बातो तो ध्यान में रखते हुए, इंटरनेट की दुनिया से चुन-चुन कर आपके लिए एक से बढ़कर एक बेहतरीन Rahat Indori shayari in hindi का कलेक्शन लेकर आये है | आशा करता हूं कि आप लोगो को यह पोस्ट पसंद आएगा |

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Rahat Indori shayari in hindi

बुलाती है मगर जाने का नहीं !!
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं !!
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर !!
मगर हद से गुज़र जाने का नहीं !!

चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं !!
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हहैं !!
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश​ !!
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है !!

अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको !!
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं !!
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था !!
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं !!

Rahat Indori shayari in hindi

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे !!
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे !!
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद !!
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे !!

तेरी मुस्कान कभी खोने नही देंगे !!
एक पल भी कभी तुझे रोने नही देंगे !!
मांग लायेंगे हर खुशी रब से तेरे लिए !!
लेकिन तुम्हे अपने से जुदा कभी होने नही देंगे !!

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अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको !!
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं !!
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था !!
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं !!

Rahat Indori shayari in hindi

सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे !!
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे !!
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल !!
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे !!

अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ !!
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ !!
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया !!
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ !!

Rahat Indori shayari in hindi

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है !!
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है !!
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं !!
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है !!

उसे अब के वफ़ाओं से गुजर जाने की जल्दी थी !!
मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी !!
मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता !!
यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी !!

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