बहुत फ़िक्र होने लगी है !! मुझे अब मेरी !! कोई बात तेरी !! मेरे दिल तक नहीं जाती !!
मुस्कान के सिवा !! कुछ न लाया कर चेहरे पर !! मेरी फ़िक्र हार जाती है !! तेरी मायूसी देखकर !!
कभी आओ बैठते है !! बतलाते है !! दुनिया की फिक्र छोड़ !! दिल की सुनाते है !!
मेरी आधी फिक्र आधे ग़म तो !! यूँ ही मिट जाते हैं जब प्यार से तू !! मेरा हाल पूछ लेती है !!
फ़िक्र तो तेरी आज भी करते है !! बस जिक्र करने का हक नही रहा !!
जो लोग !! सबकी फिक्र करते हैं !! अक्सर उन्हीं की फिक्र करने वाला !! कोई नहीं होता !!
मुझे मेरे कल कि फिक्र तो !! आज भी नही है !! पर ख्वाहिश तुझे पाने कि !! कयामत तक रहेगी !!
मेरे इस दिल को तुम ही रख लो !! बड़ी फ़िक्र रहती है इसे तुम्हारी !!
जरूरत नहीं फिक्र हो तुम !! कर ना पाऊँ कहीं भी वो जिक्र हो तुम !!