कभी कोई अपना अनजान हो जाता है !! कभी किसी अनजान से प्यार हो जाता है !! ये जरुरी नहीं कि जो ख़ुशी दे उसी से प्यार हो !! दिल तोड़ने वालो पे भी दिल निसार हो जाता है !!

दिल तोड़ कर हमारा तुमको राहत भी न मिलेगी !! हमारे जैसी तुमको कहीं चाहत भी न मिलेगी !! यूँ इतनी बेरुखी न दिखलाइये हमें !! हम अगर रूठे तो हमारी आहट भी न मिलेगी !!

जाने क्या मुझसे यह ज़माना चाहता है !! मेरा दिल तोड़कर मुझे ही हसना चाहता है !! जाने क्या बात झलकती है मेरे चेहरे से !! हर शख्स मुझे आज़माना चाहता है !!

कौन कहता है कि दिल !! सिर्फ लफ्जों से तोड़ा जाता है !! तेरी ख़ामोशी भी कभी कभी !! आँखें नम कर देती है !!

दर्द बहुत हुआ दिल के टूट जाने से !! कुछ न मिला उसके लिए आँसू बहाने से !! वो जानता था वजह मेरे दर्द की !! फिर भी बाज न आया मुझे आजमाने से !!

टूटा दिल तो गम कैसा !! वो चल दिये तो सितम कैसा !! मन भरा यार बदले,बेवफा हुए साफ !! तो फिर इश्क का भ्रम कैसा !!

एक ग़ज़ल तेरे लिए ज़रूर लिखूंगा !! बे-हिसाब उस में तेरा कसूर लिखूंगा !! टूट गए बचपन के तेरे सारे खिलौने !! अब दिलों से खेलना तेरा दस्तूर लिखूंगा !!

वह शायद इसीलिए रहते है दूर हमसे !! क्यूंकि उनको अपने हुस्न पर गुरुर होगा !! मगर याद रखना ऐ दिल तोड़ने वाले !! की तुमको इसका एहसास जरूर होगा !!

दुनिया में उल्फत का यह दस्तूर होता है !! जिसे दिल से चाहो वही हमसे दूर होता है !! दिल टूट कर बिखरता है इस कदर जैसे !! काँच का खिलौना गिरके चूर-चूर होता है !!