हमें खामोश कर गई !! आपकी बेरुखी !! अब तो अल्फाज भी !! खामोशी में तब्दील हो गए !!

हमारा खामोश रहना !! आपको पसंद आ गया !! शायद आपकी मोहब्बत !! हमारी बेरुखी से थी !!

हमारी चाहत को आपने !! हमारी बेरुखी बना दी !! क्या भूल थी हमारी !! जो आपने यह सजा दे दी !!

हमारी बेरुखी अब !! इस कदर बढ़ गई है !! तुमसे बात तो मुमकिन है !! पर हम कोशिश नहीं करना चाहते !!

तेरी दुनिया में मुझे एक पल दे दे !! मेरी बेरुखी ज़िन्दगी का गुज़रा हुआ कल दे दे !! वो वक्त जो गुज़ारा था साथ तेरे !! अब उन्हें भूल पाऊं ऐसा कोई हल दे दे !!

हम यूँ अपनी जिंदगी से मिले !! अजनबी जैसे अजनबी से मिले !! हर वफ़ा एक जुर्म हो गया !! हर दोस्त कुछ ऐसी बेरुखी से मिले !!

तेरी बेरूखी के बाद !! खुद से नफ़रत सी हो गई है !! ये भीड़ भरी दुनियां !! अजनबी सी हो गई है !!

तेरी बेरुखी से अच्छी !! तेरी बातें होती है !! तेरे उदास होंठों की चुपी !! मेरी जान ले लेती है !!

यू चुप ना बैठा करो !! इतनी बेरुखी भी ठीक नहीं !! तुम जब भी लड़ती हो मुझ से !! तेरी आंखों में प्यार नज़र आता है !!