Masoom chehra shayari
कुछ इस कदर ताल्लूक टूटा है नींद से !!
कि चाहूं सपने में मिलूंगा उन्हें तो सारी रात !!
जागने में ही गुजर जाती है !!
भूखे पेट ही काम पर आ जाते हैं !!
पर चीथड़ों से झांकते ज़ख्म के निशान !!
अधूरे ख्बावों की दास्तान कह जाते हैं !!
न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर !!
तेरे सामने आने से ज़्यादा !!
तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है !!
Masoom chehra shayari in Hindi
मासूम की निगाहें भी क़यामत से कम नही !!
के जो बरस जाए जंग के मैदान पर !!
मैदान भी मंदिर बन जाय करते हैं !!
न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर !!
तेरे सामने आने से ज़्यादा तुझे छुपकर !!
देखना अच्छा लगता है !!
कितनी मासूमियत छलक आती है !!
जब छोटे बच्चे की तरह वो मेरी !!
उंगलियो के साथ खेलते खेलते सो जाती है !!
Masoom chehra shayari in Hindi
दम तोड़ जाती है हर शिकायत !!
लबों पे आकर जब मासूमियत से !!
वो कहती है मैंने क्या किया है !!
थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब !!
ये ज़रूरतें तो कभी ख़त्म नहीं होंगी !!
Masoom chehra shayari in Hindi
जिंदगी ये तेरी खरोंचे हैं मुझ पर !!
या फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में हैं !!
पलक से पानी गिरा है तो उसको गिरने दो
कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी
इसे भी पढ़ें :-